कैसे वुशु ने फिलीपींस मार्शल आर्ट्स के विस्तार में मदद की

Joshua Pacio

बहुत पुराने समय की बात नहीं है। दुनिया भर के बहुत लोगों को वुशु मार्शल आर्ट्स के बारे में ज्यादा पता नहीं था।

लेकिन मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में वुशु से आने वाले एथलीट्स की अब लंबी कतार लग गई है। ऐसे में इस आर्ट को अपनी बेहतरीन फॉर्म के चलते आखिरकार पहचान मिल गई है।

अपने लंबे इतिहास और बेहतरीन स्टाइल के चलते कौन सी चीज इसे सबसे खास और अलग बनाती है, इसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

वुशु की शुरुआत

वुशु शब्द का अर्थ दो चीनी शब्दों से मिलकर बना है। पहला शब्द वु का मतलब “मिलिट्री” या “मार्शल” है और शु का अर्थ होता है “आर्ट”।

1949 में चीनी सरकार ने इस पारंपरिक चीनी मार्शल आर्ट की प्रैक्टिस के मानक तय कर दिए थे।

करीब एक दशक के बाद चीनी स्टेट कमिशन फोर फिजिकल कल्चर एंड स्पोर्ट्स ने पारंपरिक चीनी मार्शल आर्ट्स की ताकत को मिला दिया। इसके नतीजे से जो निकला, उसे हम सब लोग आज वुशु नाम के खेल से जानते हैं।

वुशु उस समय ज्यादातर स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल होता था, जो इसके उदय का कारण बना।

सांडा और टाओलू

Eduard Folayang VS Amarsanaa Tsogookhuu at ONE MASTERS OF FATE

वुशु दो बड़े भागों में बंटा है: सांडा (कई बार इस सनशोऊ भी बुलाते हैं) और टाओलू।

बागियो शहर में Lakat Wushu के संस्थापक और फिलीपींस में मॉडर्न जमाने के वुशु कला में माहिर मार्क सांगियाओ इसके अंतर को बताते हैं।

उन्होंने कहा, “सनशोऊ में विरोधी एक-दूसरे को जकड़कर फाइट करते हैं, जबकि टाओलू में ज्यादातर फॉर्म, पैटर्न और तकनीक का इस्तेमाल बिना संपर्क में आए किया जाता है।”

पारंपरिक वुशु सांडा बाउट में एथलीट को खुले मैट पर आठ औंस के ग्लव्स, बॉडी प्रोटेक्शन, माउथगार्ड और हेडगेयर पहनकर मुकाबला करना होता है। इसमें दूसरी मार्शल आर्ट्स जैसे किकबॉक्सिंग और बॉक्सिंग की स्ट्राइक की अनुमति होती है।

पूर्व ONE लाइटवेट वर्ल्ड चैंपियन और तीन बार के साउथ-ईस्ट एशियन गेम्स वुशु गोल्ड मेडलिस्ट एडुअर्ड “लैंडस्लाइड” फोलायंग के लिए कुछ चीजें वुशु सांडा को दूसरी स्ट्राइकिंग आधारित कॉम्बैट स्पोर्ट्स से अलग बनाती हैं और इसमें टेकडाउन भी शामिल होता है।

फोलायंग बताते हैं, “ये किकबॉसिंग की तरह है, जिसमें आप विरोधी का पैर पकड़ सकते हैं और टेकडाउन भी कर सकते हैं। हालांकि, इसमें ग्राउंड फाइट नहीं हेाती है। इस वजह से जब किसी को नीचे गिराते हैं तो अपने आप उसका अंक जुड जाता है। दूसरी स्ट्राइकिंग आर्ट्स में थोड़ी रेसलिंग भी शामिल होती है और इसी वजह से दोनों में अंतर आ जाता है।”

दूसरी ओर, टाओलू में कई तरह के मूवमेंट्स, फॉर्म और तकनीक शामिल होती हैं, जो कि किसी ग्रुप या व्यक्ति के द्वारा की जा सकती हैं। सांडा मुकाबलों से अलग टाओलू में माहिर खिलाड़ी अपने प्रदर्शन से अंक हासिल करता है।

पारंपरिक टाओलू के इवेंट्स कराने वाली ब्रांच तीन तरह की प्रतियोगिताएं करवाती है, जिसमें बेयरहैंडेड, शॉर्ट वेपंस और लॉन्ग वेपंस शामिल होते हैं।



पूरी दुनिया पर पड़ा वुशु का प्रभाव

साल 1987 में एक फिलीपीनो-चीनी बिजनेसमैन फ्रांसिस चान ने मनीला के बिनोंडो में वुशु फेडरेशन ऑफ द फिलीपींस को बनाया। इस जगह को शहर का चाइना टाउन भी कहा जाता है। चैन के साथ उनको जिलियन कमाचो ने भी जॉइन किया, जिन्होंने 1988 के बाद से फेडरेशन को चलाया भी।

कमाचो ने तेजी से इस स्पोर्ट को पूरे देश में फैलाया, जिसका उन्हें फायदा मिला। फिलीपींस में बॉक्सिंग और किकबॉक्सिंग की बढ़ती भीड़ में दूसरे एथलीट्स के लिए वुशु ने दरवाजे खोले। वहीं, कुछ लोग बाद में दूसरे खेलों को मिलाकर मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में हीरो बने।

हालांकि, वुशु के लिए सबसे अहम पल चीन के बीजिंग शहर में 1990 के दौरान हुए एशियन गेम्स में आया। उस दौरान इस मार्शल आर्ट का प्रदर्शन पहली बार क्वाड्रीनल मीट में किया गया।

उसमें “द प्रिंस ऑफ वुशु” युआन वेन किंग नाम के एक स्टूडेंट ने कई सारी पारंपरिक चीनी मार्शल आर्ट्स को एक आधुनिक विधा में दिखाकर दर्शकों को आश्चर्यचकित कर दिया था। युआन ने सभी मेडल जीतते हुए सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। इसकी देखा-देखी बाकी देशों ने भी वुशु की प्रैक्टिस शुरू कर दी।

90 के दशक में कई सारे फिल्मी सितारों ने भी वुशु को लोकप्रिय बनाने में अपना योगदान दिया। जेट ली और जैकी चैन दोनों ने अपनी एक्शन फिल्मों में इसका इस्तेमाल किया और दोनों ही अपने दशक के सबसे बड़े स्टार बन गए। इस कामयाबी ने कई अन्य एथलीट्स को भी इस स्पोर्ट में आने के लिए प्रेरित किया।

वहीं, चीन से बाहर आकर वुशु ने फिलीपींस को अपना दूसरा सबसे अच्छा ठिकाना बना लिया। वो सबसे सही समय था, जब इस मार्शल आर्ट ने अपना दम दिखाया।

ONE में वुशु के जाने-माने माहिर एथलीट्स

Rene Catalan

फिलीपींस में वुशु ने वहां के लोगों को एक और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता दी, जिसमें वो सबको पीछे छोड़ सकते थे। इस वजह ने कई मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स सितारों को जन्म दिया, जिन्हें आज हम ONE Championship के नाम से जानते हैं।

हालांकि, अब सांगियाओ मुकाबला नहीं करते हैं। वो मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में वुशु के सबसे अच्छे और पुराने कोच बन गए हैं। उन्होंने वुशु बैकग्राउंड वाले पांच ONE वर्ल्ड चैंपियंस भी दिए हैं।

इसमें फोलायंग, केविन “द सायलेन्सर” बेलिंगोन, जेहे “ग्रैविटी” युस्ताकियो, होनोरियो “द रॉक” बानारियो और जोशुआ “द पैशन” पैचीओ, जो इस समय ONE स्ट्रॉवेट वर्ल्ड चैंपियन हैं।

इसके अलावा, इलोइलो शहर कैसे एक दृढ़ निश्चय वाले व्यक्ति, जिनका नाम रेने “द चैलेंजर” कैटलन है, अपने देश के सबसे बेहतरीन वुशु एथलीट बन गए।

कैटलन का वुशु से लगाव भले ही एक इत्तेफाक हो लेकिन फिर भी वो इसके लिए वुशु स्पोर्ट को धन्यवाद देते हैं।

उन्होंने कहा, “अब मैं वुशु पर ही ज्यादा फोकस कर रहा हूं, जबकि पहले मुझे काफी मार पड़ रही थी। हमारे कोच यू शी बू की छत्रछाया में प्रशिक्षण लेना बहुत कठिन था।”

“मैंने हर दिन कड़ी मेहनत की। ये सब मैं अपने परिवार के लिए सहता था, जिसका मुझे अंत में अच्छा ईनाम मिला। वुशु के जरिए मुझे अपने देश का प्रतिनिधित्व करने के सपने को पूरा करने का मौका मिला, जैसा कि ऑनयोक वैलेस्को को मिला था। वो 1996 के समर ओलंपिक खेलों में सिल्वर मेडल जीतने वाले बॉक्सर थे।

वुशु की मदद से कैटलन ने खुद को ONE स्ट्रॉवेट डिविजन के सबसे अच्छे एथलीट्स में शामिल कर लिया है।

वुशु का वर्तमान

आज वुशु हर दिन बढ़ रहा है। ये मार्शल आर्ट 2022 में सेनेगल के डकार में होने वाले यूथ ओलंपिक गेम्स में दिखाई देगा। ये वो पहला मौका होगा, जब इस खेल को ओलंपिक में शामिल किया जाएगा।

वर्ल्ड वुशु चैंपियनशिप, द एशियन गेम्स और द वर्ल्ड गेम्स जैसी कई प्रतियोगिताएं दुनिया भर में वुशु को प्रोमोट कर रही हैं।

फोलायंग के लिए यही वो कारण है, जिसके चलते फिलीपींस को इस स्पोर्ट में और ज्यादा निवेश करना चाहिए।

देश में हाल ही में हुए 2019 के दक्षिण पूर्व एशियाई खेलों से साफ होता है कि फिलीपींस में मार्शल आर्ट ज्यादा मजबूत नहीं हो सकता है।

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमारे अधिकारी इस स्पोर्ट को और मजबूत करने पर ध्यान देंगे।”

“इस समय मैं इसे धीरे-धीरे होते हुए देख सकता हूं। मुझे लगता है कि वो इसे पालारोंग पंबंसा (फिलीपींस नेशनल यूथ गेम्स) में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं। ये हमारे लिए बड़ी बात होगी क्योंकि ऐसे में आपको जमीनी स्तर से काफी प्रतिभाएं आती दिखेंगी।

“ये स्पोर्ट हमारे लिए सोने की खदान है। खासकर पिछले SEA गेम्स से। मुझे लगता है कि हम में से 80 प्रतिशत लोगों को सनशोऊ में गोल्ड मेडल मिला है। मुझे लगता है कि पांच में चार लोगों ने गोल्ड मेडल जीता है, जो कि बड़ी बात है।

“अब जब हमें पहचान मिल रही है तो मैं उम्मीद करता हूं कि देश में और लोग भी वुशु स्पोर्ट में दिलचस्पी लेंगे।”

वुशु भले ही चीन में शुरू हुआ हो लेकिन अब ये पूरी दुनिया में फैल गया है। इससे ये साबित होता है कि ये खेल अगले एक दशक तक हावी रहने वाला है।

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