कैसे कांथाराज अगासा की मां की दिल की बीमारी ने उन्हें नया नजरिया दिया

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प्रोफेशनल लेवल पर फ्लाइवेट मिक्स्ड मार्शल आर्टिस्ट कांथाराज “कन्नाडिगा” अगासा शुक्रवार, 26 अगस्त को ONE 160: Ok vs. Lee II में थालेस नकासू के खिलाफ अपने करियर की सबसे बड़ी बाउट की तैयारी कर रहे हैं।

लेकिन व्यक्तिगत तौर पर वो अपने जीवन में पहले ही सबसे मुश्किल चुनौतियों का सामना कर चुके हैं।

परिवार पर आई मुसीबत

दिसंबर 2021 में अगासा को मां का फोन आया, जिनकी तबीयत ठीक नहीं थी। एक हफ्ते के अंदर उनको बीमारी के चलते दर्द बढ़ने लगा था और देखते ही देखते वो दर्द असहनीय पीड़ा में बदल गया।

हालांकि, काबिल रेसलर और जूडो स्टार उस समय भोपाल में थे, जहां वो स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) में ट्रेनिंग और कोचिंग का काम कर रहे थे।

30 वर्षीय एथलीट की मां को रात में अस्पताल में भर्ती कराया गया और अगासा खबर मिलते ही बेंगलुरु आ गए। वहां डॉक्टरों की जांच में पता चला कि उनकी मां के हार्ट के चारों चैंबर ब्लॉक हो चुके थे, जिसके चलते दिल के दौरे का खतरा बना हुआ था।

उन्हें तुरंत ओपन-हार्ट सर्जरी की जरूरत थी, लेकिन तभी स्थिति और भी खराब हो गई।

“कन्नाडिगा” को याद है:

“इलाज के दौरान उनकी किडनियों पर बुरा असर पड़ने लगा था। उस समय डॉक्टरों ने बताया था कि वो अभी सर्जरी नहीं कर सकते थे क्योंकि इससे ब्रेन स्ट्रोक आ सकता था। वो केवल तभी ऑपरेशन कर सकते थे, जब उनका शरीर उसके काबिल हो जाए।

“उन्हें 20 दिन तक सीसीयू (क्रिटिकल केयर यूनिट) में रखा गया। जब उनकी हालत कुछ सुधरी तो ओपन हार्ट सर्जरी की गई। इस पूरे समय के दौरान मैं उनके पास ही रहा था।”

इसके कुछ समय बाद बेंगलुरु में ट्रेनिंग और कोचिंग के बाद वो अपनी प्रोफेशनल जिम्मेदारियों को निभाते हुए वीकेंड पर मां से मिलने के लिए अपने गांव मांडलीग्रामा जाने लगे।

पहले उनकी मां के दिल की स्थिति गंभीर बनी हुई थी और डॉक्टरों का मानना था कि उनकी हालत नाजुक है। लेकिन वो जल्द ही स्वस्थ हो गईं और अगासा को उनकी देखभाल करते हुए जिंदगी के एक नए अनुभव का अहसास हुआ।

उन्होंने बताया:

“शुरू-शुरू में मां की देखभाल करना एक नवजात शिशु की देखभाल करने की तरह ही था। मैं उनको नींद से जगाता था, उन्हें टॉयलेट ले जाता था- जैसी बहुत सी चीजें करनी पड़ती थीं। मेरी बड़ी बहन उन्हें नहलाने में मदद करती थीं। मैं जब उनके पास होता था तो मां अच्छा महसूस करती थीं। इससे उन्हें अपनी बीमारी से ध्यान हटाने में भी मदद मिलती थी।

“मैं खुद से कहता रहता था कि जब वो अपने आप चलना और भोजन करना शुरू कर देंगी तो सबकुछ ठीक हो जाएगा। मैं तब ही बेहतर महसूस करूंगा और ऊपरवाले की कृपा से ऐसा ही हुआ। उन तीन महीनों में वो ठीक हो गईं।”

जीवन में मिला नया नजरिया

जिस तरह से अगासा को अपनी मां की चिंता थी, उसी तरह से मां को भी उनकी चिंता थी।

अपनी युवावस्था में उनके पिता कर्नाटक राज्य के सबसे अच्छे रेसलर्स में से एक थे और उन्होंने अच्छा पैसा भी कमाया था, लेकिन बाद में चोट के कारण दुर्भाग्यवश उनका करियर खत्म हो गया और उन्हें कहीं काम भी नहीं मिला था। उसके बाद से अगासा की मां परिवार के 6 लोगों का भरण-पोषण करती आ रही थीं।

इन हालातों के चलते वो चाहती थीं कि “कन्नाडिगा” अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाएं ना कि मार्शल आर्ट्स पर क्योंकि उनका मानना था कि इससे उनका भविष्य बेहतर होगा।

हालांकि, युवा एथलीट ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि वो कॉम्बैट स्पोर्ट्स के जरिए पैसा कमाने का रास्ता निकाल लेंगे। वो बचपन में अपनी मां द्वारा सिखाई गई बातों को हमेशा याद करते हैं और उनसे प्रेरणा भी लेते हैं।

अगासा ने कहा:

“वो हमेशा हमसे कहा करती थीं कि अगर हम सही रास्ते पर चलेंगे और पूरे मन से अपना काम करेंगे तो हमें अपना लक्ष्य जरूर हासिल होगा।”

अगासा अब अपना लक्ष्य हासिल करने जा रहे हैं क्योंकि वो ONE 160 में थालेस नकासू के खिलाफ अपने शानदार 11-3 के प्रोफेशनल MMA रिकॉर्ड के साथ सर्कल में उतरेंगे।

हालांकि, उनकी मां की बीमारी और सर्जरी ने भी भारतीय एथलीट को इस बात पर फिर से सोचने के लिए मजबूर कर दिया था कि उनके लिए सबसे जरूरी क्या है।

चीजों को समझते हुए उन्होंने निष्कर्ष निकाला है कि पैसा और पहचान जरूरी होते हैं, लेकिन वो इस भावना की इससे तुलना नहीं कर सकते हैं कि कोई खास व्यक्ति आपका खयाल रखता है।

अगासा ने आगे बताया:

“लोग पैसे और प्रतिष्ठा के पीछे भागते रहते हैं, लेकिन अगर हमें वो मिल जाए, लेकिन हमें प्यार करने वाला कोई ना हो तो उसका कोई मतलब रहेगा क्या? अब मेरा नजरिया साफ है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि आपके पास पैसा है या नहीं, जो जरूरी है वो ये कि आपका परिवार और प्यार करने वाले साथ में हों।

“एक दिन हम सभी को चले जाना है, लेकिन जब तक हम जिंदा हैं तो क्या हमें अपने प्यार करने वालों से दूर रहने की जरूरत है? मैं सोचने लगा था कि अगर मेरी मां नहीं रहीं तो मेरा ध्यान कौन रखेगा? मुझसे कौन पूछेगा कि मैंने आज खाना खाया या नहीं? हमारे पास जितना भी समय हो, हमें एक-दूसरे के साथ प्यार से रहना चाहिए।”

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