जॉन लिनेकर का परेशान किए जाने वाले बच्चे से लेकर MMA वर्ल्ड चैंपियन बनने तक का भावनात्मक सफर

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15 साल से भी अधिक के प्रोफेशनल MMA करियर में जॉन “हैंड्स ऑफ स्टोन” लिनेकर ने दुनिया के सबसे मनोरंजक और खतरनाक फाइटर्स में से एक के रूप में अपनी पहचान बनाई है।

पूर्व ONE बेंटमवेट वर्ल्ड चैंपियन इस शनिवार, 25 फरवरी को फिर से एक्शन करते नज़र आएंगे। वो ONE Fight Night 7: Lineker vs. Andrade II के मेन इवेंट में वेकेंट (रिक्त) खिताब को पाने के लिए अपने चिर-प्रतिद्वंदी फैब्रिसियो एंड्राडे के खिलाफ सर्कल में उतरेंगे।

पिछले साल अक्टूबर में एंड्राडे के साथ हुए मुकाबले को दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से नो-कॉन्टेस्ट घोषित किए जाने के बाद लिनेकर के पास एक बार फिर से इस बाउट के जरिए अपने खिताब को हासिल करने का मौका होगा।

उस वक्त उनके लिए चीजें खराब होती चली गई थीं। “हैंड्स ऑफ स्टोन” ने उस बाउट के लिए वजन मिस कर दिया, जिसकी वजह से उनकी बेल्ट छिन गई थी। अब उनके पास इस टाइटल रीमैच को अपने पक्ष में करने का सुनहरा अवसर होगा।

थाईलैंड के बैंकॉक के ऐतिहासिक लुम्पिनी बॉक्सिंग स्टेडिय में 32 साल के ब्राज़ीलियाई नॉकआउट फाइटर के पहुंचने से पहले आइए उनके जीवन के खास पहलुओं पर गौर फरमा लेते हैं और जानते हैं कि कैसे वो आज एक ग्लोबल स्टार बने।

‘मैं चुपचाप नहीं बैठ सकता था’

“हैंड्स ऑफ स्टोन” का जन्म ब्राज़ील के पारानगुआ में हुआ था, जहां आज भी वो रहते हैं।

उनके पिता एक मैकेनिक थे। लिनेकर के दो भाई और गोद ली गईं दो बहनें अमीर घराने से नहीं आते थे, लेकिन तब भी उन्होंने अपनी मामूली परवरिश का भरपूर आनंद उठाया।

उन्होंने ONEFC.com को बताया:

“हम सब बहुत खुश रहते थे। हम अपने घर की पास वाली गली में खूब खेलते थे। हम जहां रहते थे, वो जगह बहुत अच्छी थी। हमने सड़कों पर, बारिश में और मिट्टी व कीचड़ में खेलते हुए ढेर सारी मस्ती की। हमारा पारिवारिक जीवन अच्छा था। ज्यादा चीजें ना होने के बावजूद हम खुश थे।”

उस वक्त युवा ब्राज़ीलियाई बहुत अधिक सक्रिय और हमेशा आगे बढ़ने की कोशिश करते रहते थे।

वो अपने बचपन को अभावों के बावजूद अच्छी यादों के तौर पर देखते हैं क्योंकि उनके माता-पिता ने उन्हें बहुत प्यार दिया और हाथों-हाथ लियाः

“मैं चुपचाप नहीं बैठ सकता था। मैं पूरे दिन सड़क पर घोड़ों का पीछा करते हुए बिताता था। मुझे घोड़ों का बहुत शौक था। मैंने फुटबॉल और लुका-छिपी वाला खेल भी खेला। मैं एक मिनट के लिए भी शांत नहीं बैठता था। स्कूल में मैं बहुत ज्यादा सक्रिय और थोड़ा बदमाश (हंसते हुए) था, लेकिन भगवान की कृपा है कि मेरे माता-पिता ने हमें अच्छी तरह से पाला। फिर भले ही मैं थोड़ा उत्तेजक क्यों ना हूं।”

परेशान करने वालों से जद्दोजहद

लिनेकर बताते हैं कि अच्छी यादों के बावजूद बचपन चुनौतियों से अछूता नहीं था।

भले आज वो दुनिया के सबसे खतरनाक पाउंड-फोर-पाउंड फाइटर्स में से एक हों, लेकिन जब छोटे थे तो “हैंड्स ऑफ स्टोन” को डराया और धमकाया जाता था।

उन्होंने याद करते हुए बतायाः

“मैं लोकप्रिय नहीं था। उस वक्त हम परेशान करने वालों को पहचान नहीं पाते थे। हम बस एक-दूसरे को कोसते और लड़ते रहते थे। मैं जब छोटा था तो लंबे लोग बात-बात पर मेरे सिर पर मारते थे और बौना कहकर चिढ़ाते थे।”

वैसे भी इन चीजों से दूर भागना कोई हल नहीं था।

जल्द ही लिनेकर ने खुद को संभालना सीख लिया और अपने पिता के कहने पर उन्होंने उनसे मुकाबला किया, जो उनको अक्सर धमकाया और परेशान किया करते थे।

“हैंड्स ऑफ स्टोन” ने याद करते हुए बतायाः

“पहले से चीजें बिगड़ी हुई थीं और हमने उसे वहीं सुलझा लिया। मेरे पिता हमेशा कहा करते थे कि अगर तुम गली में लड़ोगे और पिटोगे तो घर में भी पीटे जाओगे। इसके बाद मैंने अपना तरीका बदला और और सोच लिया कि मैं दो बार मार खाने की बजाय सामने वाले को पीटना पसंद करूंगा।”

‘फाइट करना ही मेरा सपना बन गया’

लिनेकर ने जवानी के दिनों में हैंड-टू-हैंड कॉम्बैट के लिए दोनों हाथों से जबरदस्त ऊर्जा और निडरता के साथ गज़ब की प्रतिभा दिखाई।

हालांकि, चीजें तब तक सही दिशा में नहीं जा रही थीं, जब तक उन्होंने एक दिग्गज वर्ल्ड चैंपियन ब्राज़ीलियाई बॉक्सर के बारे में नहीं जाना था। बाद में उन्होंने फाइटिंग में ही करियर बनाने की ठान ली।

लिनेकर ने कहाः

“मैं जब 12 साल का था तो मैंने एसीलिनो ‘पोपो’ फ्रेटस का एक आर्टिकल देखा, जहां उन्होंने अपने जीवन की कहानी बताई थी। वहीं से मेरे अंदर भी फाइटर बनने का सपना जाग उठा।”

2-डिविजन के वर्ल्ड चैंपियन के बारे में पढ़ने के बाद लिनेकर को पता चल गया कि आखिर में वो क्या चाहते हैं। उन्होंने तुरंत बॉक्सिंग की बारीकियों को सीखना शुरू कर दिया।

उन्होंने याद करते हुए बतायाः

“इसका मुझ पर गहरा असर हुआ। इसने मेरे दिल में एक ज्वाला जला दी और मुझे मजबूत बना दिया। ये धीरे-धीरे मेरा सपना बन गया। मुझे पहले से फाइट करना पसंद था। इस वजह से अपने परिवार की मदद और जीवनशैली के रूप में मार्शल आर्ट्स को अपनाने के लिए मुझे सच में बहुत प्रेरणा मिली। उस आर्टिकल को पढ़ने के बाद मैंने तुरंत ही बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी थी।”

किशोरावस्था में “हैंड्स ऑफ स्टोन” ने ना सिर्फ बॉक्सिंग और मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग ली बल्कि ऐसा काम भी किया, जिसने उनके पंच मारने की ताकत को और भी अधिक विकसित कर दिया।

आखिर में उस ताकत ने उन्हें मार्च 2022 में शानदार अंदाज में ONE बेंटमवेट वर्ल्ड टाइटल दिला दिया।

लिनेकर ने बतायाः

“मैंने एक ईंट बनाने वाले के सहायक के रूप में काम किया था। मैंने बहुत मिट्टी को रौंदा और बहुत ज्यादा वजन भी उठाया। मुझे लगता है कि मेरे हाथों की ताकत तब से विकसित हो रही थी, जब मैं बच्चा था।”

अब भी पिता करते हैं प्रेरित

कभी सड़कों पर बेपरवाह खेलने और बिना किसी हिचकिचाहट के परेशान करने वालों को जवाब देने वाले लिनेकर अब दिग्गज मार्शल आर्टिस्ट और खतरनाक नॉकआउट फाइटर बन चुके हैं।

निश्चित तौर पर American Top Team के प्रतिनिध ने ONE Championship में करियर के टॉप तक पहुंचने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत की है। दुनिया भर की बेहतरीन प्रतियोगिताओं में मुकाबले करते हुए उन्होंने 35 प्रोफेशनल जीत हासिल की हैं।

इन सब चीज़ों के लिए लिनेकर को अपने पिता से प्रेरणा मिली है। वो स्वीकारते हैं कि उनके पिता हर दिन कड़ी मेहनत करने के एक सशक्त उदाहरण थे।

“पिता ही मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा और आदर्श रहे हैं। वो एक ऐसे व्यक्ति थे, जो घर चलाने के लिए जीवनभर संघर्ष करते रहे और उन्होंने परिवार को किसी भी चीज़ की कमी नहीं होने दी थी। मैं उनसे बहुत प्यार करता हूं, शायद ये शब्द भी उनके लिए कम पड़ जाएं। उनकी मेहनत ने हमें दिखाया कि वो हमसे कितना प्यार करते हैं और कितने अच्छे ढंग से हमारी देखभाल करना चाहते हैं। इस वजह से वो मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा और आदर्श के रूप में हैं।”

आज भी बेंटमवेट सुपरस्टार अपने पिता के बारे में बताते हुए भावुक हो जाते हैं। पिता से प्रेरणा लेकर वो एक ऐसे व्यक्ति के रूप में बनने के लिए उनके आभारी हैं, जो अपनी कोशिशों और ईमानदारी के मूल्यों को अच्छी तरह से जानता है।

लिनेकर ने कहाः

“आज मैं जो कुछ भी हूं, उसके लिए मैं अपने पिता को धन्यवाद देता हूं। उनका दिल बड़ा और व्यक्तित्व बहुत महान है। वो एक अच्छे और ईमानदार व्यक्ति हैं। ऊपरवाले की कृपा है कि मैं भी उनसे सीखकर उनके ही रास्ते पर चल रहा हूं।”

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