एंड्राडे का गरीबी से निकलकर MMA सुपरस्टार बनने तक का प्रेरणादायक सफर – ‘मुझे अब भी भरोसा नहीं कि ये सब कैसे हुआ’

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फैब्रिसियो एंड्राडे के पास चार महीने में दूसरी बार ONE बेंटमवेट वर्ल्ड टाइटल जीतने और अपने चिर-प्रतिद्वंदी को हराने का मौका होगा।

इस शनिवार, 25 फरवरी को ONE Fight Night 7 में “वंडर बॉय” पूर्व बेंटमवेट किंग जॉन लिनेकर से वर्ल्ड टाइटल रीमैच में भिड़ेंगे, जिसकी MMA फैंस के बीच काफी चर्चा है।

ब्राज़ीलियाई नॉकआउट फाइटर्स की इस जोड़ी का पहला मुकाबला पिछले साल अक्टूबर में ONE Fight Night 3 में हुआ था, लेकिन एंड्राडे का लिनेकर के पेट के निचले हिस्से पर गलत तरीके से शॉट लगने के कारण बाउट को बीच में ही रोककर नो-कॉन्टेस्ट घोषित कर दिया गया था।

अब 25 साल के फाइटर वेकेंट (रिक्त) खिताब को जीतने का मौका नहीं गंवाना चाहते हैं, जिसका सीधा प्रसारण थाईलैंड के बैंकॉक के प्रसिद्ध लुम्पिनी बॉक्सिंग स्टेडियम से होगा।

हालांकि, इस बड़े मुकाम पर पहुंचने तक का उनका सफर आसान नहीं था। ऐसे में मेन इवेंट के मुकाबले से पहले आइए जान लेते हैं कि कैसे जटिल परिस्थितियों से उभरते हुए एंड्राडे दुनिया के सबसे बड़े मार्शल आर्ट्स संगठन के तेजी से उभरते हुए स्टार बन गए।

‘मैं और मेरा परिवार बहुत गरीब था’

ब्राज़ील के फोर्टालेज़ा में एक गरीब परिवार में जन्मे “वंडर बॉय” तीन बच्चों में सबसे छोटे थे। वो कम उम्र में ही गरीबी की वजह से संघर्ष करने के लिए मजबूर हो गए थे।

उन्होंने ONEFC.com को बताया:

“मेरे लिए हमेशा से अपने बचपन के बारे में बात करना मुश्किल होता है। मेरा परिवार बहुत गरीब था। मैं जब ब्राज़ील में रहता था और फिर जब विदेश में रहने का फैसला किया तो मुझे कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।”

अभावों में बचपन गुज़ारने की वजह से उनमें हर तरह की परिस्थितियों का सामना करने का हुनर आ गया, जिसकी वजह से दुनिया आज उन्हें एक वर्ल्ड क्लास मार्शल आर्टिस्ट के रूप में देखती है।

आज भी वो पीछे मुड़कर देखते हैं तो उन्हें अहसास होता है कि उनके माता-पिता के लिए तीन भूखे बच्चों को खाना खिलाना कितना मुश्किल होता होगा। उनके पिता बाज़ार में घड़ियां बेचते थे और मां बच्चों के थोड़ा बड़े होने पर एक कुक (रसोइए) का काम करती थीं।

उन्होंने बतायाः

“हमारे खाने और कपड़ों पर ही सारा पैसा खर्च हो जाता था, लेकिन उन्होंने हर दिन हमारा पेट भरने और हमें अच्छी तरह से बड़ा करने के लिए कड़ी मेहनत की।”

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अपने अंदर की आवाज़ पहचानी

आज जिस तरह से वो मिलनसार और बेहतरीन फाइटर वाले व्यक्तित्व को लेकर सर्किल में आते हैं, असलियत में हमेशा से उतने दोस्ताना ब्राज़ीलियन फाइटर रहे नहीं थे।

हालांकि, आज वो इससे बिल्कुल अलग हैं। एंड्राडे जब बच्चे थे तो वो किसी से भी भिड़ने से पीछे नहीं रहते थे।

उन्होंने याद करते हुए बतायाः

“मैं घर से ज्यादा बाहर रहने वाला बच्चा नहीं था। मैं ज्यादातर शांत रहता था। कभी ऐसा हुआ कि किसी ने मुझे उकसाया, लेकिन मुझे उसका जवाब देने या खुद का बचाव करने का तरीका मिल गया। मैंने हमेशा से खुद को बचाने की कोशिश की। मैं कभी भी अपने झगड़ों को घर नहीं ले गया। मुझे जब-जब लड़ने की जरूरत पड़ी, मैं तब-तब लड़ा।”

लड़ाई-झगड़े के प्रति अपने स्वाभाविक झुकाव को देखने के बाद फोर्टालेज़ा के सबसे जटिल क्षेत्र में से एक में रहकर खुद का बचाव करने वाले युवा एथलीट ने आखिरकार मार्शल आर्ट्स को अपनाने का रास्ता चुन ही लिया।

ढेर सारे अन्य ब्राज़ीलियाई बच्चों की तरह उन्होंने भी फुटबॉल खेलने का सपना देखा था। हालांकि, मॉय थाई के पहले अनुभव के बाद एंड्राडे को जल्द ही ये अहसास हो गया कि वो रिंग में हैं और सच में वो इसमें सबका ध्यान खींचना चाहते थे।

उन्होंने बतायाः

“मैंने सड़क पर लड़ने के लिए ट्रेनिंग लेनी शुरू की। मेरे एक दोस्त ने मॉय थाई की ट्रेनिंग दी और मुझे इसमें मज़ा आने लगा। मैंने एक दिन उसे फाइट करते देखा और वो मेरे लिए बहुत अच्छा पल था। वो रिंग में फाइट कर रहे थे और हर कोई उन्हें देख रहा था। वो आकर्षण का केंद्र थे और इसी ने मेरे अंदर नई अलख जगा दी।

“अगले ही दिन मैंने फुटबॉल छोड़कर खुद को पूरी तरह से फाइटिंग के लिए समर्पित करना शुरू कर दिया। उस दिन से मुझे कुछ अलग अहसास होने लगा। पता चल गया था कि मुझे यही करना है। मैं इसमें बेहतर होने लगा था। सभी ने मेरी सराहना की और इसने मुझे हर दिन बेहतर बनने की प्रेरणा दी।”

चुनौतियों से भरा रहा विदेश में रहना

मॉय थाई और MMA दोनों में अपनी अपार क्षमता दिखाने के बाद उभरते हुए स्टार ने ब्राज़ील के बाहर भी मौके तलाशने शुरु किए।

ये परिवर्तन आखिरकार उन्हें एशियाई प्रतियोगिता की तरफ ले गया और ONE Championship की तरफ जाने का उनका रास्ता बनाना शुरू कर दिया। फिर भी एक से दूसरी जगह जाने का युवा एंड्राडे पर गहरा असर पड़ा।

उन्होंने बतायाः

“सबसे बुरा तो तब हुआ, जब मैंने चीन में रहने के लिए अपने परिवार को ब्राज़ील में छोड़ दिया। मैं अंग्रेजी नहीं बोल पाता था और किसी को भी नहीं जानता था। बस एक मैनेजर था, जिसने मुझसे कहा था कि वो मेरी फाइट करवाएंगे। मैंने एक ट्रांसलेटर के जरिए बात की और ये बहुत कठिन था। मैं कई सारे चीनी लोगों के साथ जिम में रहता था और मेरे पास बात करने के लिए दोस्त या कोई और नहीं था।”

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विदेश में अकेले रहकर गुज़ारा करने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा था। वो स्वीकारते हैं कि ये उनके जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण वक्त था।

अपने कठिन जीवन के बारे में माता-पिता को बताकर वो इसे और जटिल बनाते हुए उन पर किसी तरह का बोझ नहीं डालना चाहते थे।

“मुझे याद है कि मैंने कई बार चीन आने का पछतावा किया। मैं बाथरूम में जाकर घंटों रोता था क्योंकि मुझे पता नहीं था कि आगे क्या करना है। न मेरे पास पैसे थे और न मेरे परिवार के पास। इस वजह से मैं उनकी मदद भी नहीं मांगना चाहता था क्योंकि मैं उन्हें और परेशान नहीं करना चाहता था।”

सपने के सच होने जैसा

अच्छी बात है कि उस बुरे वक्त का एंड्राडे ने डटकर सामना किया और 2020 में ONE Championship के साथ अपने बढ़ते MMA करियर को जारी रखा।

अपने दमदार स्ट्राइकिंग बैकग्राउंड और लगातार बेहतर होने वाले ऑलराउंड गेम की बदौलत Tiger Muay Thai टीम के प्रतिनिधि ने पिछले साल वेकेंट (रिक्त) बेंटमवेट टाइटल को हासिल करने के लिए लिनेकर से मुकाबला करने से पहले लगातार 5 बाउट जीती थीं

फोर्टालेज़ा की सड़कों पर रहने वाले बच्चे के लिए अपनी वर्तमान स्थिति पर अब भी भरोसा करना मुश्किल होता हैः

“मैं हर रोज़ जागता हूं और मुझे अब भी भरोसा नहीं कि ये सब कैसे हुआ? मैं कितनी दूर आ गया हूं। वहीं, जो बात मुझे सबसे ज्यादा रोमांचित करती है, वो ये कि मुझे हमेशा से पता था कि तमाम चुनौतियों के बावजूद मैं अपने लक्ष्य को हासिल कर लूंगा।”

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इन सबके बावजूद एंड्राडे ने अपने बचपन से लेकर जवानी तक कई चुनौतियों का मजबूती से सामना किया और अपने आत्मविश्वास को कभी डगमगाने नहीं दिया।

प्रोफेशनल एथलीट बनने तक के सफर में जिंदगी का सबसे बड़ा पल आने से कुछ दिन पहले वो जानते हैं कि चुनौतियों व कड़ी मेहनत ने उन्हें एक ऐसे एथलीट और व्यक्ति के रूप में ढाला है, जो वो आज हैं।

उन्होंने कहाः

“अगर आपको खुद पर भरोसा है तो वही करें, जो आप करना चाहते हैं क्योंकि किसी ना किसी वक्त चीजें आपके पक्ष में जरूर होंगी। हम कल फसल काटने के लिए आज ही तो उन्हें बोते हैं।”

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