एलिस बद्र बारबोज़ा का बेघर होने से लेकर सबसे बड़े मार्शल आर्ट्स स्टेज तक पहुंचने का प्रेरणादायक सफर

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सर्दी का मौसम बहुत सारे लोगों के लिए पुरानी यादें ताजा कर देता है, जिसमें स्कूल की छुट्टी होना और चाय-कॉफी का आनंद लेना आदि शामिल हैं। लेकिन एलिस बद्र बारबोज़ा के साथ ऐसा नहीं है।

9 दिसंबर को ONE Fight Night 17 के 120-पाउंड कैचवेट मॉय थाई मैच में थोंगपून पीके साइन्चाई का सामना करने वाले बारबोज़ा के लिए सर्दियों की कड़वी यादें आज भी ताजा हैं।

23 वर्षीय इंग्लिश स्टार ने अपना बचपन बर्मिंघम में बिताया, जब वो छह साल के थे तो पिता ने उनकी मां और उन्हें घर से निकाल दिया था।

बारबोज़ा ने इस बारे में बताया:

“हम बेघर थे और यहां-वहां भटकते थे। मेरी मां गुजर-बसर करने के लिए अलग-अलग काम करती थीं।

“ये सब मेरे बचपन में चलता रहा। मैंने दस या उससे ज्यादा बार घर बदले, कभी होस्टल, सोफा और कभी जमीन पर बिछे गद्दे पर सोकर रातें गुजारीं। मैं तब बहुत छोटा था तो ज्यादा कुछ याद नहीं। लेकिन मुझे सर्दियां याद हैं।”

फिट बैठने की जद्दोजहद

ना एक तय कमाई और ना रहने की स्थाई जगह के चलते बारबोज़ा और उनकी मां को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा। जो चीजें दूसरे बच्चों को हासिल होती हैं, वैसा कुछ बारबोज़ा के पास नहीं था।

ऐसे में शरारती तत्व उन्हें परेशान करते थे तो वो फाइट या फ्लाइट मोड में आ जाते थे और उन्हें कामयाबी भी मिली।

उन्होंने बताया:

“मैं देखता था कि किसी के पास कुछ है और दूसरों के पास कुछ। मैं सोचता था कि ‘मेरे पास ये सब कुछ क्यों नहीं है?’

“मेरे पास पिता के रूप में कोई नहीं था तो मैं बता नहीं सकता था कि मेरे साथ क्या परेशानी है। नए कपड़े ना होने की वजह से मुझे तंग किया जाता था। लेकिन मुझे खुद के लिए फाइट करनी थी।”

फाइट करने की ज्वाला जगी

जब बारबोज़ा 11 साल के हुए तो उनकी किस्मत ने पलटी मारी। उनका परिचय पहले किकबॉक्सिंग और फिर बॉक्सिंग से हुआ, लेकिन उनकी इस खेल में मुकाबला करने की कोई इच्छा नहीं थी।

अगले साल एक दोस्त ने उन्हें मॉय थाई क्लास के लिए मशहूर कोच हेनरी क्लेमिसन के Corefit UK जिम में आमंत्रित किया।

युवा इंग्लिश स्टार की रूचि मॉय थाई में बढ़ती गई और उनकी इस खेल में नींव पड़ी। कुछ समय के बाद उन्हें पता था कि ये उनकी और उनकी मां की जिंदगी को बेहतर बना सकता है। उसके बाद जिम उनका पहला स्थाई घर बन गया।

बारबोज़ा ने कहा: 

“मैं वहां एक सेशन के लिए गया था और मुझे बहुत अच्छा लगा। मॉय थाई के बाद मैंने ट्रेनिंग को गंभीरता से लेना शुरु किया।

“मैं युवा दिनों में जिम में ही रह रहा था। मैं दो बस बदलकर जिम में आता था। स्कूल खत्म होने के बाद सीधा जिम जाता था। फिर दो बस लेकर वापस घर निकलता था और हर दिन यही करता था क्योंकि मुझे इससे प्यार था।”

सरहद पार गए

कोविड-19 महामारी के दिनों में बारबोज़ा को एक दोस्त के साथ दुबई जाने का मौका मिला।

आखिरी समय पर उनके दोस्त ट्रिप पर जाने से पीछे हट गए और बारबोज़ा को वहां अकेले जाना पड़ा। उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि मिडल ईस्ट में बिताया गया समय उनकी जिंदगी बदल देगा।

बारबोज़ा ने कहा:

“मैं वहां एक जिम में गया और जेसन वुडहम ने मुझे फाइट करते हुए देखा और कहा कि उन्हें एक शो के लिए फाइटर्स की जरूरत है। ऐसे में मैंने वहां रुकने और फाइट करने का निर्णय लिया।

“उन्होंने मुझे जिम में काम दिया। मैं तीन महीने तक सोफे पर सोया जब तक मेरे पास पैसा नहीं आ गया। उसके बाद मैंने दुबई में काम करना शुरु कर दिया।

“ये संघर्षपूर्ण था। मेरे पास पैसे नहीं थे, लेकिन मैंने अपने मॉय थाई के जादू और कोचिंग से गुजारा किया। मेरा गुजारा अच्छे से हो रहा था। ये बर्मिंघम के मुकाबले काफी अच्छा था।”

‘ये वो हर चीज है जिसका सपना देखा था’

अब बारबोज़ा अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी फाइट और थोंगपून के खिलाफ ONE Championship डेब्यू के लिए तैयारी कर रहे हैं।

अब जब वो लुम्पिनी बॉक्सिंग स्टेडियम में उतरने के करीब हैं तो जिंदगी में आई मुश्किलों को जरूर याद कर रहे होंगे क्योंकि उन्होंने ही बारबोज़ा को यहां तक पहुंचाया है।

बारबोज़ा ने कहा:

“बहुत कम में गुजारा करना आपके अंदर ज्यादा पाने की भूख जगा देता है। पहले बिजनेस और फिर फाइटिंग ने मुझे खुद को दिखाने और गुस्से से छुटकारा दिलाने का मौका दिया।

“इसने मुझे उद्यमी बनने की ओर अग्रसर किया क्योंकि मैं अपने परिवार की दशा बदलना चाहता था। खुद को बेहतर और अधिक देना चाहता था। मेरा लक्ष्य अब भी यही है कि अपनी मां को रिटायर होते और अपने परिवार को बेहतर वित्तीय स्थिति में देखूं।”

यहां तक पहुंचना बारबोज़ा के लिए आसान नहीं था। उन्होंने इसके लिए बहुत कड़ी मेहनत की है।

हालांकि, ये कितना भी कठिन रहा लेकिन वो जानते हैं कि मंजिल अभी बहुत दूर है।

उन्होंने बताया:

“ये वो हर चीज है जिसका सपना देखा था, अब यहां हूं तो ये पागलपन सा लगता है। लेकिन साथ ही ये नॉर्मल नहीं लग रहा है। कितना अजीब है कि जब आप कुछ हासिल करने के बाद किस तरह की उम्मीद करते हैं और असलियत में आपको कैसा लगता है।”

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