छोटी दुनिया से आकर बड़ी जिंदगी जीने वाले बोकांग मासूनयाने की प्रेरित करने वाली कहानी

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“लिटल जायंट” के उपनाम वाले #2 रैंक के स्ट्रॉवेट MMA कंटेंडर बोकांग मासूनयाने अपनी कला के प्रदर्शन का जरा सा भी दिखावा नहीं करते हैं। ये अपने संघर्षों, कड़ी मेहनत और बाधाओं के खिलाफ मिली सफलता का प्रतिनिधित्व करते हैं।

और जब वो 22 जुलाई को ONE 159: De Ridder vs. Bigdash में #3 रैंक के हिरोबा मिनोवा का सामना करने से पहले उन शब्दों को सुनेंगे तो मासूनयाने अपने उपनाम को कमाने के पीछे की कड़ी मेहनत को सोचकर उस मुकाबले में और ज्यादा अपनी ताकत झोंक देंगे। ये ठीक उसी तरह से होगा जैसे दुनिया के सबसे बड़े मार्शल आर्ट्स संगठन में उन्होंने कड़ी मेहनत करके अपनी जगह बनाई है।

यहां हम आपको बताएंगे कि कैसे दक्षिण अफ्रीका के असाधारण एथलीट “लिटल जायंट” के नाम से पहचाने जाने लगे और ये वास्तव में ग्लोबल स्टेज पर उनके प्रेरक सफर का प्रतिनिधित्व क्यों करता है।

जीवन की कहानी

5 फुट 1 इंच के मासूनयाने का कद हमेशा ही कम ही रहा है। हालांकि, उन्होंने इस बात को कभी भी खुद पर हावी नहीं होने दिया।

छोटे से अफ्रीकी देश लेसोथो में जन्मे स्ट्रॉवेट स्टार का बचपन मुश्किलों से भरा रहा था। उन्होंने महज 2 साल की उम्र में ही अपने पालन-पोषण करने वाली मां को खो दिया था और फिर अपनी आंटी के साथ दक्षिण अफ्रीका चले गए थे। वहां उन्होंने अपनी जवानी का अधिकतर समय जोहान्सबर्ग के अनाथालय में बिताया।

हालांकि, वहां ढेर सारी मुश्किलों का सामना करने के बावजूद मासूनयाने ने अपने खेल को लेकर दृढ़ महत्वाकांक्षाओं के रास्ते में कुछ और नहीं आने देने का पक्का इरादा कर लिया था।

वो कहते हैं, “मैं स्कूल में थोड़ा रग्बी और फुटबॉल खेलता था। हर मैच के बाद मैं उन चंद लोगों में से एक था, जो हमेशा मैन ऑफ द मैच या प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बने रहते थे। मुझे लगता है कि मेरे कद का मतलब है कि मैंने अपने शारीरिक आकार की वजह से अन्य लोगों की अपेक्षाओं से आगे बढ़कर ही खुद को साबित किया है।”

“मुझे लगता है कि बड़े आकार वाले लोगों को लेने और उच्च स्तर पर उनके खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होने की मेरी क्षमता ने असलियत में बहुत से लोगों के होश उड़ा दिए थे। और मैं ये मानता हूं कि सबसे बड़ी चीज जो मेरे पास थी, वो मेरा बड़ा दिल था। मैंने कभी इस बात की परवाह नहीं की कि मैं किसके खिलाफ मुकाबला कर रहा हूं। मैंने बस उसमें अपना सबकुछ झोंक दिया।”

मासूनयाने को दूर से खड़े होकर देखने वाले मिस्टर वेंटर नाम के एक टीचर थे, जो उस युवा प्रतिभा के प्रदर्शन से बेहद प्रभावित हुए थे और उनकी बचपन की कहानी को सुनकर हैरान थे।

मिस्टर वेंटर जानते थे कि उनका छात्र सामान्य परिस्थितियों में अन्य बच्चों को भी प्रेरित कर सकता और इस तरह “लिटल जायंट” का जन्म हो गया।

मासूनयाने बताते हैंः

“असलियत में उन्होंने कई बार मुझसे कहा कि वो मेरे जीवन की कहानी को लेकर एक किताब लिखना पसंद करेंगे और उसे “लिटल जायंट” का नाम देंगे। ये तब की बात थी, जब मैंने फाइटिंग या और कुछ शुरू किया था, शायद उस वक्त मैं रेसलिंग करता था। वो मेरी जिंदगी की कहानी से बहुत प्रेरित थे।

“इसके बाद जब मैंने फाइटिंग करनी शुरू की थी तो मुझसे मुकाबले की रात वाले दिन उपनाम मांगे गए और तब जाकर मुझे एक फैसला लेना पड़ा। मैं कुछ नामों के साथ आगे बढ़ा, मैंने अपने साथियों से भी पूछा कि वो मेरे किस उपनाम के बारे में सोचते हैं। मैंने उनसे उनके विचार जाने। उसी दौरान मुझे वो “लिटल जायंट” नाम याद आ गया। तब जाकर ये नाम मेरे दिमाग में ही अटक गया। फिर तो ऐसा कुछ भी नहीं था कि कोई ये कहता कि उपनाम के तौर पर डायनामाइट, “लिटल जायंट” से बेहतर लगता है।”

संदेह करने वालों को अनदेखा किया

मासूनयाने ने अपने छोटे से कद पर भी गर्व महसूस करना सीख लिया था, तब भी जब उनके कुछ साथियों ने उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश की थी।

दक्षिण अफ्रीका के निवासी एक प्रतिभाशाली एथलीट के तौर पर उभरने लगे थे और वो खुद को दूसरों की छोटी मानसिकता वाले विचारों से दूर ही रखते थे।

इसकी बजाय उन्होंने कड़ी मेहनत करने और खुद को उन लोगों के आसपास ही रहने पर जोर दिया, जो उन पर पक्का यकीन करते थे।

मासूनयाने कहते हैं, “आप हमेशा ऐसे बच्चों और लोगों की नजरों में चढ़ जाएंगे। मैंने सिर्फ इसलिए उनसे दूरी बनाई क्योंकि वो मुझे और मेरी प्रतिभा को नहीं समझते थे। मैं यहां खुद को साबित करने के लिए आया हूं और मैं उन्हें या किसी दूसरे को साबित करने के लिए नहीं आया था।”

“हर बार जब भी ऐसा कुछ हुआ तो मैंने उसे नज़रअंदाज़ करने की पूरी कोशिश की। मैंने ईमानदारी से अपने जीवन में आसपास के सकारात्मक लोगों पर ध्यान केंद्रित किया। ये वो लोग थे, जो मुझे उनकी परवाह किए बगैर आगे बढ़ने के लिए कहेंगे। असलियत में वो लोग मुझे मेरे जीवन, करियर और मेरी प्रतिभा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करते थे।”

उन दिनों Coach Quan University के प्रतिनिधि अपने अतीत में उन संदेह रखने वालों के प्रति कोई नाराजगी नहीं रखते हैं।

अब वो प्रोफेशनल मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में महान चीजें हासिल कर रहे हैं और वो जानते हैं कि सफलता व्यक्तिगत रूप से बदला लेने की धारणा नहीं बल्कि उस मौके को भुनाने की चीज है।

मासूनयाने कहते हैंः

“मैं उनके लिए कुछ भी बुरा नहीं चाहता हूं। बस मैं ये चाहता हूं कि वो मेरी परफॉर्मेंस और मेरी उपलब्धियों को देखें। उसके बाद कहें कि ‘अरे, मैं इस आदमी को जानता हूं।’ फिर भी वो अंदर से जानते होंगे कि उन्होंने पहले मेरे बारे में क्या-क्या कहा है।”

“अगर कभी उनसे मिलता भी हूं तो निश्चित तौर पर मैं अपना एक मित्रतापूर्वक पक्ष ही प्रस्तुत करूंगा और उम्मीद है कि उनके साथ पुरानी बातों को लेकर हंसूंगा। मुझे ऐसा लगता है कि ये उनकी एक नासमझी थी, लेकिन इसने मुझे एक बेहतर इंसान बनाने के लिए बहुत प्रेरित किया था।”

जीवन में बड़ा बनकर दिखाया

अपने शारीरिक कद से परे “लिटल जायंट” उन कई सारी बाधों का पूरी तरह से प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनका मासूनयाने ने सामना किया और उन्हें दूर किया।

वो जानते हैं कि ऐसी परिस्थितियों में कई लोग समाज की उन दरारों में गिरकर फंस सकते हैं और फिर मौके तलाशने के लिए संघर्ष कर सकते हैं। ये ऐसा था, जिसे उन्होंने देखा था।

एक ही समय पर दुनिया के सबसे बड़े मार्शल आर्ट्स संगठन में #2 रैंक स्ट्रॉवेट कंटेंडर के रूप में मासूनयाने को असलियत में बहुत कुछ खास हासिल करने का मौका मिला है।

वो कहते हैं, “मेरा मानना ​​है कि सबसे बड़ा सच तो ये है कि मैं जीवन में कहां से आया हूं। जहां से मैं आया हूं, उस हिसाब से मुझे ONE Championship में नहीं होना चाहिए। मुझे इस उच्चतम स्तर पर नहीं होना चाहिए। मुझे एक युवा, स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में जीने में सक्षम नहीं होना चाहिए था।”

“मैं एक ऐसी जगह पर रहा हूं, जहां मेरे भविष्य की कोई उम्मीद ही नहीं थी। ईमानदारी से कहूं तो एक छोटे बच्चे के रूप में मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं उस जगह पर पहुंचूंगा, जहां मैं आज खड़ा हुआ हूं। जीवन ने मुझे सबसे अच्छा बनने का मौका दिया है, जो मैं संभवतः हो सकता हूं।

“मुझे लगता है कि दक्षिण अफ्रीका के कुछ भाग्यशाली लोगों में से एक मैं भी हूं। ऐसे बहुत से लोग हैं, जो मेरी जैसी स्थितियों में रहे हैं या मुझसे भी खराब स्थिति में हैं और वो उस जगह पर आने के लिए उतने भाग्यशाली नहीं हैं, जहां पर आज मैं हूं। मैं उसके लिए ऊपर वाले का आभारी हूं। मैं एक छोटी सी दुनिया से आया हूं, लेकिन मैं एक बहुत बड़ा जीवन जी रहा हूं।”

अपनी कहानी से दूसरों को प्रोत्साहित करने का सम्मान प्राप्त किया

जिस तरह से चीजें बदलती गई हैं, उसके लिए मासूनयाने सबके बहुत आभारी हैं। हालांकि, उन्हें ये सब भाग्य की बदौलत ही नहीं मिला है।

इसके पीछे उनके अथक प्रयास और दृढ़ संकल्प ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। यही नहीं, उन्हें इसके जरिए दूसरों के लिए एक आदर्श बना दिया, जो जटिल और लंबी बाधाओं का सामना करते हुए आते हैं।

सीमित संसाधनों और उसमें भी ना के बराबर उम्मीदों के बावजूद एक छोटे से देश से आए एक अनाथ और दूसरों की अपेक्षा कम हाइट वाले बच्चे ने ये साबित करके दिखला दिया कि जिंदगी में कुछ भी असंभव नहीं है।

वो अब मार्शल आर्ट्स के लिए एक बहुत बड़े ग्लोबल स्टेज पर मुकाबले कर रहे हैं और अपनी प्रेरित करने वाली कहानी को दुनियाभर के लाखों लोगों तक पहुंचा रहे हैं।

28 वर्षीय एथलीट कहते हैंः

“जब मुझे लोगों के मैसेज मिलते हैं तो बहुत अच्छा लगता है। असलियत में इनमें से ज्यादातर ऐसे लोगों के संदेश होते हैं, जिन्हें उनके शरीर को लेकर धमकाया और अपमानित किया जा रहा होता है।

“वे मैसेज में लिखते हैं कि ‘मुझे प्रेरित करने के लिए धन्यवाद। मैं असलियत में MMA फाइटर बनना चाहता हूं क्योंकि आपने भी इससे बहुत कुछ हासिल किया है या मैं जो कुछ भी करता हूं, उसमें और अधिक सफल होना चाहता हूं क्योंकि जरूरी ये है कि आप उन परिस्थितियों से कैसे लड़ते हैं और यही रवैया आपको आगे बढ़ाता जाता है।’

“…तो मेरा बस यही लक्ष्य है। मेरा लक्ष्य ना सिर्फ केवल उन लोगों को प्रेरित करने के लिए है, जिन्हें उनके शरीर या आकार के लिए नीचा दिखाया जाता है। मेरे लिए बाकी दुनिया को भी प्रेरित करना है। इसकी सबसे पहले शुरुआत मुझे अपने देश से करनी है। अगर मैं अपने देश में अपने लोगों को प्रेरित कर सकता हूं तो मुझे इसकी बहुत प्रसन्नता होगी।”

किताब के रूप में भी ये सिर्फ अचानक से आया हुआ विचार नहीं था। मिस्टर वेंटर अब भी अपने पुराने स्टूडेंट के जीवन के सफर को उसकी महिमा के रूप में जाहिर करने की योजना बना रहे हैं।

मासूनयाने कहते हैं, “जैसे ही मैं प्रोफेशनल MMA फाइटर बन गया, हम फिर से एकसाथ हो गए। हम इसे बनाने के लिए पहले से ही साथ में हैं, जो कि असलियत में काफी अच्छी और उत्साहवर्द्धक योजना है।”

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