डयाने कार्डोसो का अमेज़ॉन के घने जंगलों से ONE के बड़े मंच तक का सफर

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ब्राज़ीलियाई फाइटर डयाने “डे मॉन्स्टर” कार्डोसो ने अमेज़ॉन के घने जंगलों से निकलकर लंबा सफर तय करते हुए इस मुकाम तक आई हैं।

ONE में पूर्व टाइटल चैलेंजर अयाका मियूरा के खिलाफ विजयी आगाज के करीब एक साल बाद 22 अप्रैल को लुम्पिनी बॉक्सिंग स्टेडियम में 26 साल की फाइटर स्ट्रॉवेट डिविजन में 2-0 की बढ़त बनाने के इरादे से चीनी एथलीट मेंग बो का सामना करने उतरेंगी।

थाईलैंड के बैंकॉक में होने वाले ONE Fight Night 9: Nong-O vs. Haggerty में एक और जीत के साथ कार्डोसो स्ट्रॉवेट MMA क्वीन जिओंग जिंग नान से मुकाबले के और करीब पहुंच जाएंगी।

घने जंगलों में की शुरुआत

ONE की उभरती हुई एथलीट बनने से पहले कार्डोसो माता-पिता के साथ मेहनत करके परिवार चलाने में उनकी मदद करती थीं।

उन्होंने अपनी परवरिश के बारे में ONEFC.com को बताया:

“मेरा बचपन खेतों में माता-पिता की सहायता करते हुए बीता। मैं जब 11 साल की थी, तभी से मैंने उनके साथ मेहनत करनी शुरू कर दी थी। परिवार खेती संग केले, कसावा और आटे के लिए साबूदाने की पैदावार करता था। हम फसल के मुताबिक चीजें बेचते थे और इसी तरह हमारा परिवार चलता था।”

5 भाई-बहनों में सबसे छोटी कार्डोसो अमेज़ॉन के घने जंगलों में रहती थीं और पास के शहर में नाव से जाने में उन्हें 5 घंटे लगते थे।

ऐसे में वो छोटी उम्र से ही कड़ी मेहनत और कठिन जीवन से अच्छी तरह वाकिफ थीं।

उन्होंने बतायाः

“मैं सबसे छोटी थी इसलिए मुझे बड़े भाई-बहनों की अपेक्षा ज्यादा आजादी मिली थी। हालांकि, जो लोग जंगल के अंदरूनी इलाकों में पैदा होते हैं, वो कम उम्र में ही बड़ों की तरह ज़िम्मेदारियां निभाना सीख जाते हैं।”

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बड़े होकर युवा ब्राज़ीलियाई प्रतिभा ने खेलों के प्रति अपना लगाव दिखाया। उन्होंने ऐसी दृढ़ता दिखाई, जो एक प्रोफेशनल फाइटर के रूप में उनका भविष्य उज्ज्वल ही करेगी।

कार्डोसो ने बतायाः

“मैं हमेशा से शांत और शर्मीली स्वभाव की थी। स्कूल जाना मुझे अच्छा लगता था क्योंकि ये पता था कि वहां फुटबॉल खेलूंगी। मैं लड़कों के साथ खेलती थी और फुटबॉल में अच्छी थी इसलिए वो मुझे मानते थे। मुझे परेशान नहीं किया गया। लड़कों को पता था कि अगर मैं गुस्सा हो जाऊंगी तो उन्हें पीट दूंगी (हंसते हुए)।”

‘डे मॉन्स्टर’ बनने का सफर

19 साल की उम्र में कार्डोसो एटॉजेस शहर चली गईं। वहां वो मार्शल आर्ट्स से परिचित हुईं और आज उनके पास एक बेहतरीन उपनाम है।

फुटबॉल खेलने का सपना देखने के बाद ब्राज़ीलियाई एथलीट मॉय थाई और जिउ-जित्सु एकेडमी चली गईं और उनका ये निर्णय जीवन बदलने वाला साबित हुआ।

कार्डोसो ने बतायाः

“वहीं से मेरे सपने बदलने लगे। मैं पहले फुटबॉलर बनना चाहती थी, लेकिन ट्रेनिंग के बाद मार्शल आर्ट्स में मुझे जीवन बदलने का बड़ा मौका दिखा।”

6 महीने की ट्रेनिंग के बाद Carioca Academy की एथलीट ने पहली मॉय थाई बाउट जीती और एक ही रात में दो महिला फाइटर्स को नॉकआउट कर दिया।

उस बेहतरीन प्रदर्शन और जिम में स्ट्रॉवेट में जबरदस्त ताकत दिखाने के कारण एक साथी से उन्हें “डे मॉन्स्टर” का उपनाम मिला।

कार्डोसो ने बतायाः

“ये उपनाम मुझे डॉ. योर्गे ने दिया था, जो जिम में ट्रेनिंग कराते थे। वो एक डॉक्टर हैं और उन्हें हमेशा लगता था कि मैं बहुत ताकतवर हूं। एक दिन मज़ाक में उन्होंने मुझे मॉन्स्टर कहकर बुलाया पर वो थोड़ा जचा नहीं था।

“मैं ग्रामीण परिवेश से आई थी और मैं बैल जैसे बड़े जानवरों के साथ खेलती थी। मेरे (मार्शल आर्ट्स) गुरु हमेशा मुझसे ये कहकर मज़ाक करते थे कि मैंने गांव में सांड़ को मार गिराया है। मुझे लगता है कि मेरी ताकत भी मेरे उपनाम से आती है और वो प्रतिद्वंदियों को डराती भी है। मुझे भरोसा है कि जब मेरे विरोधियों को पता चलता होगा कि उनक सामना “डे मॉन्स्टर” से होने वाला है तो वो भयभीत होती होंगी।”

सपनों को पूरा करने के लिए करनी है फाइट

अमेज़ॉन में परवरिश और मेहनत के कारण कार्डोसो को विरासत में धैर्य और ताकत मिली है। फिर भी उनके लिए शहरी जीवन में ढलना आसान नहीं था।

उन्हें जब ये महसूस हुआ कि उनके पास विश्व स्तरीय मिक्स्ड मार्शल आर्टिस्ट बनने की स्किल्स हैं तो वो इसमें निपुणता हासिल करने मनौस चली गईं।

परिवार से दूर नई-नवेली फाइटर शहर में उस वक्त किसी को नहीं जानती थीं।

उन्होंने बतायाः

“मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती एटॉजेस से मनौस जाना था। परिवार को छोड़कर दूर जाने और वहां अनुभव करने वाली हर चीज़ कठिन थी। मैं जब शहर पहुंची तो किसी को नहीं जानती थी। मनौस में मेरा कोई दोस्त भी नहीं था।”

वो जिम में लोगों से भरे एक लॉकर रूम वाले कमरे में सो जाती थीं।

लेकिन इस चुनौतीपूर्ण शुरुआत ने उन्होंने खुद को मजबूत बनाने में मदद की। इन चीजों ने हर परिस्थिति में उन्हें डटे रहने की ताकत और आगे बढ़ने का हौसला दिया।

कार्डोसो ने कहाः

“मैं जिम के लॉकर रूम, जो एक काम चलाऊ कमरा था, वहां अन्य 6 एथलीट्स के साथ रहती थी। वहां मेरे जैसे सपने लेकर छोटी-छोटी जगहों से लोग आए थे। वो उन परिस्थितियों में नहीं झेल सके और अपने सपने छोड़कर चले गए। मैं अकेली थी, जो वहां रुकी रही। मैं आज भी अकेली ही अपने सपनों को पूरा करने के लिए जूझ रही हूं।”

किसी भी चुनौती के लिए तैयार

कार्डोसो के पास 22 अप्रैल को अपने सपने के लिए फाइट करने का एक और मौका होगा। वो थाईलैंड के बैंकॉक के प्रतिष्ठित लुम्पिनी बॉक्सिंग स्टेडियम में मुकाबला करेंगी।

“डे मॉन्स्टर” अब जंगलों के भीतरी इलाके की साधारण महिला नहीं रह गईं। मेंग बो के खिलाफ जीत के साथ कार्डोसो साबित करना चाहती हैं कि वो भी एक वर्ल्ड चैंपियन लेवल की फाइटर हैं।

आत्मविश्वास से भरी कार्डोसो ने कहाः

“अब जब मैं इस स्पोर्ट में बेहतर हो गई हूं तो मुझे उन पर दया आती है कि वो मेरा सामना करेंगी। मैं सिर्फ जीतना चाहती हूं। वो या कोई और जो भी आएगा, मैं उनका सामने करने के लिए तैयार हूं।”

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भले ही वो अमेज़ॉन से हजारों मील दूर हों, लेकिन घने जंगलों में बिताए अपने कठिन जीवन को हमेशा साथ लेकर चलती हैं।

उन्होंने बतायाः

“हमारे यहां कहा जाता है कि जैसे भी स्थिति हो, हम उसका समाधान निकाल लेंगे। मुझे भरोसा है कि उन्होंने कभी भी मेरे जैसी मजबूत इरादों वाली और ट्रेंड फाइटर का सामना नहीं किया होगा।”

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