जानें कैसे सोवनाह्री एम को मार्शल आर्ट्स ने उनकी जड़ों तक पहुंचाने में मदद की

Cambodian-American mixed martial artist Sovannahry Em

लगभग एक साल पहले ONE Championship में धमाकेदार शुरुआत के बाद सोवनाह्री एम “द स्वीट सैवेज” ऐक्शन में वापस आने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

आने वाले शुक्रवार यानी 6 दिसंबर को अपराजित कंबोडियन-अमेरिकी लड़ाकू मलेशिया के कुआलालंपुर के एशियाटा एरिना के अंदर नई योद्धा के रूप में आईं रेयान बैस्टोस से ONE: MARK OF GREATNESS में मुकाबला करेंगी।

एम अब भी अपने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स करियर में खुद को विकसित कर रही हैं और वह अब तक प्रभावी ही साबित हुई हैं। उनकी तीन जीत हैं। आश्चर्यजनक रूप से उन्होंने उन सभी नॉकआउट जीत को दर्ज करने में तीन मिनट से भी कम समय लिया है।

इससे पहले कि वह ब्राजील की योद्धा के साथ मुकाबले के लिए मलेशियाई राजधानी में सर्किल के अंदर कदम रखें, आइए इस द स्वीट सैवेज के जीवन के बारे में थोड़ा जान लेते हैं।

कंबोडियन रूट्स

एम के दादा-दादी और उनकी मां 1980 के दशक की शुरुआत में कंबोडिया से संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए थे। बाद में एम का जन्म 1992 में कैलिफोर्निया के लॉन्ग बीच में हुआ था। यह एक ऐसा शहर था, जिसे देश की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी कम्बोडियन आबादी कहा जाता था।

एक बच्चे के रूप में उन्होंने दादी और दादा के साथ अपनी मूल भाषा बोलकर संवाद किया, जिससे उन्हें कम्बोडिया की जड़ों के बारे में अधिक जानने में मदद मिली।

एम कहती हैं कि हम अपने दादा-दादी की देखभाल में बड़े हो रहे थे। वे हमसे केवल खमेर भाषा में बात करते थे।

मैं बचपन में खमेर में बात करती थी लेकिन जब मैं बड़ी हुई तो मैं इस भाषा को भूलती गई। मैं जब छोटी थी, तब हम कम्बोडियन संस्कृति के बहुत करीब थे। हम बस मंदिरों में जाते थे और भोजन व संगीत के आसपास ही रहते थे।

हालांकि, बाद में मैं खमेर बोलना भूल गई थी। जैसे-जैसे साल बीतते गए मैं अपने दादा-दादी से बातचीत करने में असहज होने लगी।

अफसोस की बात यह है कि उनके साथ एक मजबूत रिश्ता बनाने से पहले ही वो समय निकल गया।

एम मानती हैं कि मैं जैसे-जैसे बड़ी होती गई। खासकर, जब लॉन्ग बीच से दूर चली गई, तब मुझे अहसास हुआ कि मैं अपनी कंबोडियाई जड़ों से अलग हो गई थी।

मैं अपने दादा-दादी के साथ बहुत संवाद नहीं कर पाती थी क्योंकि वे केवल खमेर में बात करते थे। फिर बाद में उनका निधन हो गया।

पहला पंच

एम एक एथलेटिक बच्ची थीं, जो बाहर खेलना पसंद करती थीं। उनका परिवार आर्थिक रूप से मजबूत नहीं था इसलिए वह कभी भी किसी स्पोर्ट्स टीम में शामिल नहीं हो पाईं।

वह वीडियो गेम और फिल्मों के जरिए मार्शल आर्ट्स को लेकर गंभीर होने लगीं लेकिन वह अपनी बढ़ती रुचि को आगे बढ़ाने में सक्षम नहीं थीं। उनके माता-पिता भी उनको इसकी शिक्षा देने के लिए सक्षम नहीं थे।

वह कहती हैं कि मेरे पास वास्तव में प्रशिक्षण या कुछ भी करने के साधन नहीं थे। मैंने कभी नहीं देखा कि मेरे पास विकल्प हो कि मैं इसकी क्लास अटैंड कर लूं या कुछ और कर लूं।

एम में बदलाव तब आया, जब वह 20 साल की हुईं। एम ने अपनी शारीरिक फिटनेस को बढ़ाने के लिए मुक्केबाजी का प्रशिक्षण लेना शुरू किया।

पहले उन्हें इस खेल को अपने करियर के रूप में आगे बढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। बाद में जब उन्होंने अपना पहला मुक्का जड़ा तो उन्हें इस “स्वीट साइंस” से प्यार हो गया।

उन्होंने कहा कि मेरा दोस्त है, जो अब मेरा बॉयफ्रेंड हैं, उसने लॉन्ग बीच में एक बॉक्सिंज जिम में मेरी बात की। मैं जब वहां गई तो लगा कि मेरा इससे पुराना कनेक्शन है।

मैं तब भी जिम ज्वाइन करने के लिए उसका भुगतान करने में सक्षम नहीं थी। फिर भी मैं वहां उसे जानने की कोशिश में गई। मेरे कोच बहुत अच्छे थे और वह मुझे वहां निःशुल्क ही ट्रेन्ड करने लगे।

उन्होंने कहा कि मैं हैरान थी क्योंकि जब मैं स्ट्रीट फाइटर खेलती थी या कुंग-फू फिल्में देखती थी तो मैं कभी भी बॉक्सिंग की दीवानी नहीं थी। मुझे लगता था कि इसमें सिर्फ पंच करना है, जो बहुत बोरिंग है लेकिन बाद में मुझे बॉक्सिंग से प्यार हो गया। यह अब भी मेरा पहला प्यार है।

सीखने की अवस्था

एम को मुक्केबाजी से बेहद प्यार था। हालांकि, वह अपनी मार्शल आर्ट्स की विशेषज्ञता को और अधिक बढ़ाना चाहती थीं। इस वजह से उन्होंने ब्राज़ीलियाई जिउ-जित्सु और कुश्ती में प्रशिक्षण लेना शुरू किया।

रोंडा राउजी की बढ़ती लोकप्रियता से एम बहुत इंस्पायर्ड थीं। उन्हें शुरुआत में लगा कि मुक्केबाजी से मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में आना आसान होगा। पर उन्हें जल्दी इस बात का अहसास हो गया कि वह गलत हैं।

कंबोडियन-अमेरिकी योद्धा स्वीकार करती हैं कि यह एक सीखने का लंबा रास्ता है क्योंकि मैं आधारभूत मुक्केबाज हूं।

वह कहती हैं कि कोई भी जो कुश्ती या ग्रैपलिंग का एक औंस जानता था, वह मेरे पंचेज से बच सकता था और मुझे गिराने में सक्षम था। ऐसा मेरे साथ बार-बार हो रहा था।

मेरे लिए यह निश्चित रूप से निराशाजनक था। मैं सोचती थी कि मेरी बॉक्सिंग मुझे आगे बहुत नुकसान पहुंचाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

एम को काफी हतोत्साहित किया गया लेकिन वह अपने कौशल में सुधार और खुद को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध रहीं। उन्होंने अपनी कला का अभ्यास जारी रखा और खुद को मांझना जारी रखा। इसके बाद उन्हें फायदा मिलना शुरू हुआ।

वह कहती हैं कि मुझे पता था कि अपने खेल में कुश्ती को जोड़ना होगा। मैं इसके अभ्यास के लिए जाती थी पर इसे पसंद नहीं करती थी। आखिरकार मैं उस बिंदु पर पहुंच गई, जहां इसके साथ मुझे सहज महसूस होने लगा। फिर मैंने इसे अपने खेल में शामिल कर लिया।

कुछ सपनों को महसूस किया

द होम ऑफ मार्शल आर्ट्स में शामिल होना एम के लिए एक रोमांचक क्षण था। यह “द स्वीट सैवेज” के लिए और भी अधिक रोमांचकारी था। उन्होंने पिछले दिसंबर में 81 सेकंड में टोटल नॉक आउट के जरिए इरीना किसेलोवा के खिलाफ अपनी शुरुआत की।

इस मुकाबले ने उन्हें और अधिक दृढ़ संकल्प से भर दिया।

कम्बोडियन-अमेरिकी योद्धा अपने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स करियर में केवल तीन मुकाबलों में शामिल हो सकती हैं लेकिन इसने भी उन्हें भविष्य के बारे में सोचने से नहीं रोका।

एम कहती हैं कि मैं इसे बहुत दूर तक ले जाना चाहती हूं।

मैं ONE के साथ अपना दूसरा मुकाबला करने वाली हूं। फिर मैं उसके बाद दो या तीन मुकाबले और करना चाहती हूं। उम्मीद है कि मुझे एक टाइटल फाइट जरूर मिलेगी। मैं अंततः खिताब के लिए लड़ना चाहूंगी और संभवतः स्ट्रॉवेट के लिए भी संभावनाएं तलाशूंगी।

ये सभी अभी के विचार हैं क्योंकि मैं फ्लाईवेट डिवीजन पर पूरा ध्यान केंद्रित कर रही हूं। फिर संभवतः बाद में टाइटल के लिए जाऊं।

उनकी एक और इच्छा ONE Championship प्रतियोगिता में प्रतिस्पर्धा करने के लिए कंबोडिया जाने की है।

एम ने अभी तक देश का दौरा नहीं किया है। उनका पहली बार अपनी मातृभूमि के लिए उड़ान भरने और लोगों के सामने प्रदर्शन करने का सपना पूरा होगा।

वह कहती हैं कि लड़ना कंबोडियन संस्कृति का इतना बड़ा हिस्सा है, जिसे मैंने अभी तक महसूस नहीं किया।

अगर मुझे वहां लड़ने का मौका मिलता है, देश के एक बड़े मंच पर प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलता है, वहां की संस्कृति और परंपराओं से फिर जुड़ने का मौका मिलता है तो यह मेरे लिए आश्चर्यजनक होगा।

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